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CIBIL Score: लोन लेने के लिए सिबिल स्कोर होता है बेहद जरूरी, चलिए जाने इसे बेहतर बनाने के 5 आसान टिप्स

CIBIL Score
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CIBIL Score: अगर आप लोन लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो सबसे पहले आपको सिबिल स्कोर के बारे में जानना बेहद जरूरी है। एक अच्छा सिबिल स्कोर आपको लोन प्राप्त करने में मदद करता है, क्योंकि लोन देने वाली संस्थाएं आपके क्रेडिट इतिहास को देखकर यह निर्णय करती हैं कि आपको लोन देना सुरक्षित होगा या नहीं। इसलिए, आज हम आपको सिबिल स्कोर को कैसे बेहतर बनाएं, इसके बारे में विस्तार से बताएंगे, ताकि लोन लेने में कोई परेशानी न हो।

1. सिबिल स्कोर के मायने: क्या है इसका महत्व?

सिबिल स्कोर एक तरह से आपके क्रेडिट व्यवहार को मापने वाला स्कोर होता है। यह स्कोर यह बताता है कि आपने कितनी बार अपनी ईएमआई और लोन की किश्तों का भुगतान समय से किया है। साथ ही यह भी दर्शाता है कि आपने अपनी किश्तें कब और कितनी देर से चुकाई हैं। सिबिल स्कोर में यह सभी कारक लगभग 35 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं, जो आपके लोन लेने की संभावना को प्रभावित करते हैं।

सिबिल स्कोर के बारे में एक अहम बात यह है कि हाल ही में आरबीआई ने कुछ नए नियम लागू किए हैं, जो आपके क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। यह जानना जरूरी है ताकि आपको भविष्य में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

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2. क्रेडिट कार्ड का उपयोग: कितना है सही?

जब भी आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं, तो यह देखा जाता है कि आपने क्रेडिट सीमा का कितना उपयोग किया है। सिबिल स्कोर में क्रेडिट एक्सपोजर की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत होती है। इसका मतलब यह है कि यदि आपकी क्रेडिट सीमा बहुत अधिक उपयोग में आती है, तो आपका सिबिल स्कोर कम हो सकता है। स्मार्ट तरीका यह है कि आप अपनी क्रेडिट सीमा का 30-40 प्रतिशत ही उपयोग करें।

3. क्रेडिट हिस्ट्री का असर: लोन की अवधि

आपकी क्रेडिट हिस्ट्री का भी सिबिल स्कोर में महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसका मतलब यह है कि यदि आपने लंबे समय तक लोन लिया है और समय से उसकी किश्तें चुकाई हैं, तो आपका सिबिल स्कोर अच्छा रहेगा। सिबिल स्कोर की कैलकुलेशन में क्रेडिट हिस्ट्री की हिस्सेदारी लगभग 15 प्रतिशत होती है। आपको ध्यान रखना होगा कि आप जितना लंबा और सही तरीके से लोन चुकाते हैं, उतना ही अधिक आपका सिबिल स्कोर होगा।

4. लोन के प्रकार का महत्व

सिबिल स्कोर के कैलकुलेशन में यह भी देखा जाता है कि आपने किस प्रकार के लोन लिए हैं। इसमें सिक्योर्ड लोन और अनसेक्योर्ड लोन दोनों की जानकारी ली जाती है। सिक्योर्ड लोन, जैसे घर या वाहन लोन, लोन देने वाली संस्था के लिए कम जोखिम वाले होते हैं।

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  • सिक्योर्ड लोन: इनका असर सिबिल स्कोर पर अच्छा पड़ता है क्योंकि इन्हें सुरक्षित किया जाता है।
  • अनसेक्योर्ड लोन: इनका असर सिबिल स्कोर पर थोड़ा कम होता है, लेकिन इनकी संख्या अधिक होने पर स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

सिबिल स्कोर में लोन के प्रकार की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत होती है।

5. अधिक लोन लेने पर बढ़ सकती है देनदारी

अगर आपने हाल ही में कई लोन लिए हैं या बार-बार लोन के लिए इनक्वायरी की है, तो यह आपके सिबिल स्कोर को प्रभावित कर सकता है। इससे यह पता चलता है कि आप पर लोन का बोझ बढ़ सकता है, और यह आपके वित्तीय स्थिति को अस्थिर कर सकता है। सिबिल स्कोर में 10 प्रतिशत हिस्सा लोन से जुड़ी सभी गतिविधियों से आता है, जैसे लोन की इन्क्वायरी और लोन का कुल भार।

सिबिल स्कोर को बेहतर करने के टिप्स

  • समय से भुगतान करें: अपनी सभी ईएमआई और क्रेडिट कार्ड के बिल समय पर चुकाएं।
  • क्रेडिट लिमिट का समझदारी से उपयोग करें: अपनी क्रेडिट सीमा का 30-40 प्रतिशत ही उपयोग करें।
  • पुरानी क्रेडिट हिस्ट्री को बनाए रखें: पुराने लोन की सही तरीके से चुकौती करते रहें।
  • कभी भी अधिक लोन न लें: जब जरूरत हो तभी लोन लें और एक साथ कई लोन लेने से बचें।

निष्कर्ष

सिबिल स्कोर एक महत्वपूर्ण मापदंड है, जो यह निर्धारित करता है कि आपको लोन मिलेगा या नहीं। अगर आप इन सरल टिप्स का पालन करते हैं, तो आपका सिबिल स्कोर सुधर सकता है और भविष्य में आपको लोन मिलने की संभावना बढ़ सकती है। ध्यान रखें कि समय पर पेमेंट करना और क्रेडिट लिमिट का सही उपयोग करना सिबिल स्कोर को सुधारने के सबसे प्रभावी तरीके हैं।

इसलिए, यदि आप लोन लेना चाहते हैं, तो पहले अपना सिबिल स्कोर चेक करें और उसे बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

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