आज के समय में ज़रूरतें पूरी करने के लिए लोन लेना आम बात हो गई है। लेकिन जब आर्थिक स्थिति बिगड़ती है और लोन चुकाना मुश्किल हो जाता है, तो कुछ लोग बैंक से लोन सेटलमेंट का रास्ता अपनाते हैं। बहुत से लोग इसे एक आसान समाधान मानते हैं, लेकिन असल में इसका असर लंबे समय तक आपकी वित्तीय स्थिति पर पड़ता है। अगर आप भी लोन चुकाने में परेशानी का सामना कर रहे हैं और सेटलमेंट का विचार कर रहे हैं, तो पहले इसके फायदे और नुकसान को अच्छी तरह समझ लेना जरूरी है।
क्या होता है लोन सेटलमेंट?
जब कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेता है लेकिन उसे समय पर चुका नहीं पाता, तब बैंक या फाइनेंशियल संस्था उसे एक विकल्प देती है जिसे लोन सेटलमेंट कहा जाता है। इसमें ग्राहक से पूरी बकाया राशि की बजाय कोई तयशुदा रकम लेकर लोन को बंद कर दिया जाता है।
इसे वन टाइम सेटलमेंट भी कहा जाता है। इसमें बैंक को जितना संभव हो उतना पैसा मिल जाता है और ग्राहक को कानूनी कार्रवाई से राहत मिलती है। लेकिन इसका एक बड़ा असर ग्राहक के क्रेडिट रिकॉर्ड पर पड़ता है।
लोन सेटलमेंट से क्या नुकसान हो सकते हैं?
- क्रेडिट स्कोर पर भारी असर
लोन सेटलमेंट करने पर आपके सिबिल स्कोर में 100 से लेकर 150 अंकों तक की गिरावट हो सकती है। इससे आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में ‘सेटल्ड’ का टैग जुड़ जाता है जो भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं होता। - भविष्य में लोन मिलना मुश्किल
जब भी आप अगली बार लोन के लिए अप्लाई करेंगे, बैंक आपकी पुरानी क्रेडिट हिस्ट्री देखेगा। ‘सेटल्ड’ स्टेटस देखकर बैंक आपको नए लोन देने से मना कर सकता है। - सात साल तक असर बना रहता है
सेटलमेंट का रिकॉर्ड आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में कम से कम सात साल तक बना रहता है, जिससे आप लंबे समय तक किसी भी तरह की फाइनेंशियल सुविधा से वंचित रह सकते हैं। - सिर्फ अस्थायी राहत
लोन सेटलमेंट से आप रिकवरी एजेंट की कॉल्स या कानूनी परेशानियों से तो बच सकते हैं, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं होता। इससे आपकी आर्थिक छवि खराब होती है।
कौन-से विकल्प बेहतर हो सकते हैं?
अगर आप लोन नहीं चुका पा रहे हैं तो सबसे पहले बैंक से संपर्क करें। उनसे विनती करें कि EMI को कम कर दिया जाए या आपको थोड़ी मोहलत दी जाए। कई बार बैंक आपके अनुरोध को मान लेते हैं और नई भुगतान योजना बना देते हैं।
आप चाहें तो लोन को रीस्ट्रक्चर भी करवा सकते हैं, जिसमें ब्याज या समय की शर्तों में बदलाव किया जाता है। इससे आपका क्रेडिट स्कोर भी सुरक्षित रहता है और भुगतान का दबाव भी थोड़ा कम होता है।
अगर सेटलमेंट कर ही लिया है तो अब क्या करें?
अगर आप मजबूरी में लोन सेटलमेंट कर चुके हैं, तो इसे सुधारने का भी तरीका है। जैसे ही आपकी आर्थिक स्थिति ठीक हो, बैंक से संपर्क करें और बची हुई पूरी रकम, ब्याज और चार्जेज को चुका दें। इसके बाद बैंक से नो ड्यूज सर्टिफिकेट लें और सिबिल ब्यूरो में अपना स्कोर अपडेट करवाएं। इससे धीरे-धीरे आपकी क्रेडिट रिपोर्ट सुधरेगी और भविष्य में आपको दोबारा लोन मिलने की संभावना बनेगी।
निष्कर्ष
लोन सेटलमेंट किसी भी हालात में एक स्थायी समाधान नहीं होता। यह एक अस्थायी राहत जरूर देता है, लेकिन भविष्य में इससे आपकी आर्थिक साख कमजोर हो सकती है। इसलिए लोन चुकाने में समस्या हो तो पहले बैंक से बात करें और सारे विकल्पों को समझें।
जरूरी हो तभी सेटलमेंट करें, नहीं तो किसी वैकल्पिक योजना के जरिए धीरे-धीरे लोन चुकाएं। आपकी साख बनी रहेगी और भविष्य में किसी फाइनेंशियल फैसले में रुकावट नहीं आएगी।
नमस्कार!
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