अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते हैं, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि कुछ स्थितियों में आयकर विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। अक्सर लोग टैक्स बचाने के चक्कर में गलत जानकारी भर देते हैं या फिर अपनी आय और घाटे को गलत तरीके से दिखाते हैं, जिससे विभाग को शक होता है और फिर कानूनी नोटिस जारी किया जा सकता है।
इनकम टैक्स नोटिस एक गंभीर विषय है, लेकिन घबराने की बजाय सही जानकारी और समय पर जवाब देने से आप बड़ी परेशानी से बच सकते हैं। यहां हम आपको बताएंगे कि इनकम टैक्स एक्ट की कौन-कौन सी धाराएं हैं, जिनके तहत नोटिस भेजा जाता है और हर टैक्सपेयर को इसके बारे में क्यों पता होना चाहिए।
Income Tax नोटिस की 5 प्रमुख धाराएं (Overview Table)
धारा (Section) | कारण |
139(9) | दोषपूर्ण या अधूरी जानकारी वाला रिटर्न |
143(1) और 143(1)(a) | टैक्स कैलकुलेशन में अंतर या रिफंड की सूचना |
142(1) | अतिरिक्त जानकारी या ITR दाखिल न करने की स्थिति |
156 | बकाया टैक्स, पेनल्टी या जुर्माना चुकाने के लिए |
143(2) | संदेहास्पद डाटा की स्क्रूटिनी के लिए |
सेक्शन 139(9): दोषपूर्ण रिटर्न पर नोटिस
जब आपका भरा गया ITR अधूरा होता है या आय की जानकारी आयकर विभाग के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती, तो सेक्शन 139(9) के तहत नोटिस भेजा जाता है। इसे “Defective Return” कहा जाता है। इस स्थिति में नोटिस मिलने के 15 दिनों के भीतर सही जानकारी देना जरूरी होता है, वरना आपका रिटर्न खारिज किया जा सकता है।
सेक्शन 143(1) और 143(1)(a): रिफंड या गड़बड़ी की सूचना
ये नोटिस आमतौर पर तब भेजे जाते हैं जब:
- आपने टैक्स ज़्यादा भर दिया हो और आपको रिफंड मिलना हो
- या आपने टैक्स कम भरा हो और विभाग आपको बकाया टैक्स के बारे में सूचित कर रहा हो
अगर आपके द्वारा भरे गए ITR में और आपके TDS सर्टिफिकेट में फर्क पाया जाए, तो सेक्शन 143(1)(a) के तहत जानकारी भेजी जाती है। यह सूचनात्मक नोटिस होते हैं।
सेक्शन 142(1): जानकारी या ITR फाइलिंग की मांग
जब आयकर अधिकारी को लगता है कि किसी टैक्सपेयर्स से और जानकारी चाहिए, या आपने किसी साल का ITR फाइल नहीं किया है, तो वह सेक्शन 142(1) के तहत नोटिस भेज सकता है। इसका जवाब न देने पर ₹10,000 तक का जुर्माना या अन्य कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। इसलिए इस नोटिस को हल्के में न लें।
सेक्शन 156: टैक्स या पेनल्टी की मांग
यदि आपने किसी कारणवश टैक्स नहीं भरा है, या आप पर जुर्माना लगाया गया है, तो विभाग सेक्शन 156 के तहत नोटिस भेजता है। इस नोटिस को मिलने के बाद 30 दिनों के अंदर आपको बकाया राशि जमा करनी होती है। देर करने पर अतिरिक्त ब्याज या पेनल्टी भी लग सकती है।
सेक्शन 143(2): गहराई से जांच के लिए स्क्रूटिनी
अगर विभाग को शक है कि आपने जानबूझकर आय कम दिखाई है या नुकसान ज़्यादा दर्शाया है, तो वह आपकी फाइल की स्क्रूटिनी करता है। इस प्रक्रिया में दस्तावेज़ों की जांच की जाती है ताकि सही जानकारी सुनिश्चित की जा सके। यह स्क्रूटिनी सेक्शन 143(2) के अंतर्गत की जाती है और इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
नोटिस आने पर क्या करें?
अगर आपको किसी भी सेक्शन के तहत नोटिस आता है, तो घबराएं नहीं। आपको विभाग की वेबसाइट www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जाकर लॉगिन करना होगा और वहां दिए गए नोटिस के अनुसार जवाब देना होता है। हर नागरिक को यह अधिकार है कि वह अपने पक्ष में स्पष्टीकरण दे सके। इसलिए समय पर प्रतिक्रिया देना और सटीक जानकारी देना बेहद जरूरी है।
निष्कर्ष
इनकम टैक्स नोटिस सिर्फ उन्हीं को आता है जो गलत जानकारी भरते हैं या फाइलिंग में लापरवाही करते हैं। अगर आप सावधानीपूर्वक और सही डेटा के साथ रिटर्न फाइल करते हैं, तो ऐसे नोटिस की संभावना बेहद कम हो जाती है। लेकिन अगर कोई नोटिस आए भी, तो उसका सही और समय पर जवाब देना ही सबसे बड़ा समाधान है।
नमस्कार!
मेरा नाम हेमा देवी है, और मैं पिछले 4 सालों से फाइनेंस, बिजनेस, सरकारी योजनाओं और मनी मैनेजमेंट से जुड़ी जानकारी लिख रही हूँ। मैंने उत्तराखंड से ग्रेजुएशन किया है और इससे पहले प्रिंट मीडिया में भी काम कर चुकी हूँ।
वहाँ काम करने के दौरान मैंने रिसर्च और सही जानकारी देने की कला सीखी, जो अब डिजिटल मीडिया में भी मेरे काम आ रही है। मुझे हमेशा से पैसे से जुड़े विषयों में गहरी रुचि रही है। मैं चाहती हूँ कि हर कोई अपनी फाइनेंस से जुड़ी समस्याओं का हल आसानी से समझ सके और बिना किसी झंझट के सही निवेश (Investment), बिजनेस और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सके।
इसलिए मैं अपने लेखों को बहुत ही सरल और आसान भाषा में लिखती हूँ, ताकि कोई भी इन्हें पढ़कर समझ सके और अपने पैसों का सही उपयोग कर सके। अगर आप फाइनेंस, बिजनेस, सरकारी योजनाओं और पैसों से जुड़ी किसी भी जानकारी की तलाश में हैं, तो मैं यहाँ आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार हूँ।